औरंगज़ेब के ऊपर दारा शिकोह को क्यों तरजीह दे रहा है आरएसएस?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मुग़ल बादशाह औरंगजे़ब पर विवाद को एक नया आयाम देते हुए सवाल उठाया है कि उसके भाई दारा शिकोह को आदर्श क्यों बनाया जा सकता है, जिसकी उन्होंने हत्या की थी.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मुग़ल बादशाह औरंगजे़ब पर विवाद को एक नया आयाम देते हुए सवाल उठाया है कि उसके भाई दारा शिकोह को आदर्श क्यों बनाया जा सकता है, जिसकी उन्होंने हत्या की थी.
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संगठन के इस रुख़ को उचित ठहराया कि 'औरंगजे़ब आज प्रासंगिक क्यों नहीं हैं' और दारा शिकोह की जगह औरंगज़ेब को दिए गए अनुचित प्रतिष्ठित दर्जे पर सवाल उठाया.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की तीन दिवसीय बैठक के अंत में एक पारंपरिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने मुग़ल बादशाह के प्रति अपने संगठन के विरोध को स्पष्ट किया.
होसबाले ने सवाल उठाया, "भारत में मुद्दा यह है कि क्या एक ऐसे व्यक्ति को आइकॉन (आदर्श) बनाया जाना चाहिए जो भारत के लोकाचार के ख़िलाफ़ (यानी औरंगज़ेब) गया. या फिर हमें उन लोगों को आइकॉन (यानी दारा शिकोह) बनाना चाहिए जो यहां पैदा हुए हैं और जो भारत की प्रकृति के साथ चले."

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'आज़ादी की लड़ाई ही एकमात्र स्वतंत्रता संग्राम नहीं'

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, "जो हुआ वह यह है कि दारा शिकोह को कभी आइकॉन नहीं बनाया गया. जो लोग गंगा-जमुना संस्कृति की बात करते हैं, वे कभी दारा शिकोह को बढ़ावा देने की कोशिश नहीं करते हैं."
सम्राट शाहजहाँ के उत्तराधिकारी दारा शिकोह को उदारवादी माना जाता है, जबकि उनके भाई औरंगजे़ब के बारे में कहा जाता है कि उनका झुकाव सैन्य रणनीतियों की ओर अधिक था. ऐसा भी कहा जाता है कि दारा शिकोह ने उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया था.
होसबाले ने कहा, "यह निर्णय लेना प्रत्येक देश का अधिकार है जिसने स्वतंत्रता प्राप्त की है. अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आज़ादी की लड़ाई ही एकमात्र स्वतंत्रता संग्राम नहीं है. अंग्रेज़ों के आने से पहले जिन लोगों ने आक्रांताओं का विरोध किया, वो भी स्वतंत्रता आंदोलन था. राणा प्रताप ने जो किया, वह भी स्वतंत्रता आंदोलन था."
होसबाले का कहना है कि यह विदेशी बनाम स्वदेशी या धर्म का सवाल नहीं है.
उनका कहना है कि "व्यक्ति चाहे ईसाई ही क्यों न हो, देश के बारे में यही धारणा है. इसलिए जो लोग आक्रमणकारी मानसिकता से पीड़ित हैं, वे आज भी हमारे देश के लिए ख़तरा हैं."
उन्होंने बताया कि औरंगज़ेब मार्ग नाम की एक सड़क हुआ करती थी, जिसे बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया.

इमेज स्रोत,Getty Images
इमेज कैप्शन,दारा शिकोह को उपनिषदों के कुछ हिस्सों का फारसी में अनुवाद करने का श्रेय दिया जाता है.


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